आईयूसीडी के बारे में जाने
■ एक छोटी, लचीली पालीथाईलीन (प्लास्टिक) की बनी चीज़ होती है, जिसमें बेरियम मिला होता है और इस पर कॉपर (ताम्बा) लिपटा होता है।
आईयूसीडी के प्रकार :-
राष्ट्रीय कार्यक्रम के अंतर्गत 2 प्रकार के कॉपर आईयूसीडी उपलब्ध हैं-
1.कॉपर आईयूसीडी 380ए – 10 साल तक काम करने वाली
2. कॉपर आईयूसीडी 375 – 5 साल तककामकरने वाली
कॉपर टी आईयूसीडी 380ए –
- T आकार का साधन
- 3.6 से.मी. लम्बी और 3.2 से.मी. चौड़ी
- खड़ी व आड़ी भुजा पर कॉपर तार लिपटा हुआ
- 380 वर्ग मि.मी. कॉपर
- पतले पालीथाईलीन के धागे
- लगाने के दिन से लेकर 10 साल तक कार्य करने वाला।
कॉपर टी आईयूसीडी 375 –
- उल्टा यू (U) का आकार और लचीली भुजाँए।
- 3.5 सें.मी. लम्बी व 1.8 से.मी. चौड़ी और “U” के दोनों भुजाओं पर 5 स्टब।
- केवल खड़ी भुजा पर कॉपर तार लिपटा हुआ।
- 375 वर्ग मि.मी. कॉपर।
- चमकीला हरा या नीला मोनोफिलामेंट नाइलॉन केधागे।
- लगाने के दिन से 5 साल तक कार्यकरनेवाला।
कार्य करने का तरीका
- कॉपर के आयन शुक्राणु की गतिशीलता को कम कर देते हैं, गर्भाशय और ट्यूब के द्रव के गाढ़ापन को बढ़ाकर, शुक्राणु को अंडे से नहीं मिलने देते। इस प्रकार निषेचन (फर्टिलाइज़ेशन) को रोकते हैं।
- आईयूसीडी एन्डोमेट्रियम (गर्भाशय के अन्दर की सतह) में बाहरी वस्तु की तरह प्रतिक्रिया करता है, जिससे मैक्रोफेज बनते हैं, जो निषेचित अंडे को गर्भाशय में चिपकने नहीं देते।
गर्भ-निरोधक प्रभावशीलता
- जैसे ही लगाई जाती है, तुरन्त प्रभावी
- गर्भधारण को रोकने मे आईयूसीडी महिला व पुरूष नसबन्दी के समान प्रभावशाली है
- असफल होने का (गर्भधारण होने का) दरः <1% पहले साल के उपयोग के दौरान।
इसका अर्थ है कि 100 महिलाओं में जो आईयूसीडी उपयोग करती हैं, पहले वर्ष के दौरान 1 से भी कम औरत में गर्भ ठहर सकता है (1000 औरतों में से 6-8 में गर्भधारण)
कॉपर आईयूसीडी के लाभ
- लम्बे समय तक अधिक प्रभावशाली अस्थायी विधि है, जो गर्भधारण से बचाव करती है
- लगाते ही असरदार एवं निकलवाते ही प्रजननशीलता तुरन्त वापस आती है
- अधिकतर महिलाओं के लिए प्रयोग करने के योग्य है
- यदि असुरिक्षत यौन संपर्क के 5 दिन के अन्दर लगाई जाए, तो आपात्कालीन गर्भनिरोधक के रूप में काम करती है
- बिना किसी अंतर रखे एक आईयूसीडी निकालने के बाद, दूसरा तुरन्त लगाया जा सकता है और इस तरह यह स्थायी विधि की तरह काम करती है
- जब चाहे निकलवाया जा सकता है – एक अति प्रभावशाली विधि
- रोज-रोज या यौन संपर्क से पहले कुछ याद रखने की ज़रूरत नहीं होती
- लगवाना केवल एक बार की प्रक्रिया है और किफायती (लागत से अधिक फायदे वाली) है
- स्तनपान कराने वाली माताएँ प्रयोग कर सकती हैं
- यदि क्लाइंट कोई भी दवाई ले रही है, तो उसके साथ दखलनहींदेती
कॉपर आईयूसीडी की सीमाएँ
- लगाने व निकालने के लिए एक कुशल सेवा प्रदाता की ज़रूरत पड़ती है
- लगाने से पहले पेडू की जाँच आवश्यक है
- यौन संचारित रोग (STI/HIV) से बचाव नहीं करती
- जिन महिलाओं में सक्रिय प्रजनन अंगों का संक्रमण या यौन संचारित संक्रमण है, उनकों नहीं लगाई जा सकती
- आईयूसीडी के दुष्प्रभाव (साईड इफेक्टस) परेशान तो करते हैं, परन्तु ये नुकसानदायक नहीं हैं
आईयूसीडी के दुष्प्रभाव
- थोड़ी परेशानी होती है, परन्तु नुकसान नहीं होता और लगवाने के कुछ महीनों के अन्दर अपने आप ठीक हो जाते हैं।
- माहवारी में परिवर्तनः
- माहवारी के रक्तस्त्राव की अवधि/ मात्रा बढ़ सकती है
- बीच-बीच में धब्बे लगना या हल्का रक्तस्त्राव
- ये परिवर्तन लगवाने के बाद पहले कुछ दिनों या कुछ महीनों तक हो सकते हैं।
- लगवाते समय और उसके बाद थोड़े दिनों तक थोड़ी असुविधा या ऐंठन हो सकती है, जो अपने आप कुछ दिनों मेंठीकहो जाती है
- संभावित स्वास्थ्य संबंधी खतरे
- संभावित स्वास्थ्य संबंधी खतरे, जो असामान्य या बहुत ही कम होते हैं, वे हैंः
- 2-8% क्लाइंट में अपने आप कॉपर आईयूसीडी निकल जाती है (अधिकतर पहले 3 माह के दौरान और माहवारी के दौरान)।
- अगर आईयूसीडी के साथ गर्भ ठहर जाता है, तो गर्भपात, संक्रमण और एक्टोपिक प्रेग्नेन्सी का खतरा बढ़ जाता है, पर गर्भ के अन्दर बच्चे पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता।
- लगवाने के बाद संक्रमण 1% से कम में होता है- यह खतरा लगवाने के 20 दिन के अन्दर ज्यादा होता है। यह संक्रमण से बचाव के नियमों का, लगाते समय ठीक तरह से पालन न करने के कारण होता है, आईयूसीडी के कारण नहीं होता।
- गर्भाशय में छेद होना लगाते समय – यह बहुत ही असाधारण और दुर्लभ जटिलता है, जो 0.5 – 1.5/1000 आईयूसीडी लगाने में हो सकता है, पर यह लगाने वाले सेवा-प्रदाता के कुशलता और अनुभव पर निर्भर करता है|